पर्यावरण को माइक्रोवेव अवन से होता है कार जितना नुकसान
एक अध्ययन में दावा किया गया है कि पूरे यूरोप में माइक्रोवेव अवन से जितने कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ है उतना ही कार्बन डाईऑक्साइड करीब 70 लाख कारों से निकलता है। ब्रिटेन की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने माइ्क्रोवेव के पर्यावरणीय प्रभावों के पहले व्यापक अध्ययन के बाद यह दावा किया है।
इस अध्ययन में पाया गया कि पूरे यूरोपीय संघ में हर साल माइक्रोवेव से करीब 77 लाख टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार मानी जाने वाली इस गैस की करीब 77 लाख टन की मात्रा हर साल 68 लाख कारों से उत्सर्जित होने वाली कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा के बराबर है
माइक्रोवेव का वातावरण पर क्या इम्पैक्ट होता है इसका आकलन करने के लिए उनके लाइफ साइकल यानी जीवन चक्र का निर्धारण किया गया जिसमें माइक्रोवेव के मैन्युफैक्चर से लेकर उनके इस्तेमाल और उनकी समाप्ति तक कितना वेस्ट मैनेजमेंट होता है, इसे इस स्टडी में शामिल किया गया। रिसर्च में यह बात भी सामने आयी कि माइक्रोवेव अवन का निर्माण करते वक्त जिन सामानों का इस्तेमाल होता है उनसे वातावरण को अधिक खतरा होता है।
माइक्रोवेव की उत्पादन प्रक्रिया में ही प्राकृतिक संसाधनों का 20 प्रतिशत ह्रास हो जाता है और यह क्लाइमेट चेंज के लिए भी जिम्मेदार है। हालांकि इसके इस्तेमाल में जितनी बिजली की खपत होती है उसकी वजह से माइक्रोवेव, वातावरण पर सबसे ज्यादा असर डालता है। पूरे यूरोपीय संघ में हर साल माइक्रोवेव करीब 9.4 टेरावाट बिजली प्रति घंटे का उपभोग करते हैं। यह मात्रा 3 बड़े गैस बिजली संयंत्रों से सालाना उत्पन्न होने वाली बिजली के बराबर है।